सनातन धर्म: विश्वगुरु की भूमिका में एक विस्तृत विवेचन
प्रस्तावना
सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है, विश्व का सबसे प्राचीन एवं समृद्ध धार्मिक-दार्शनिक परंपरा है। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति, दर्शन, विज्ञान और आध्यात्मिकता का समन्वय है। इसकी गहराई, सहिष्णुता और सार्वभौमिकता के कारण ही इसे “जगतगुरु” (विश्व का गुरु) कहा जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि क्यों सनातन धर्म सम्पूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक बन चुका है।
1. सनातन धर्म: अखंड ज्ञान का भंडार
(क) वेद: मानव सभ्यता का प्रथम ज्ञानकोश
सनातन धर्म की नींव वेदों पर टिकी है, जो मानव इतिहास के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में ब्रह्मांड, प्रकृति, दर्शन, विज्ञान और आध्यात्म का अद्भुत संगम है।
- ऋग्वेद 10.22.14 में पृथ्वी को “गोलाकार” बताया गया, जो आधुनिक विज्ञान से मेल खाता है।
- यजुर्वेद 40.17 (पूर्णमदः पूर्णमिदम्…) में ब्रह्माण्ड की अनंतता का वर्णन है।
- आयुर्वेद (अथर्ववेद से उत्पन्न) आज भी वैश्विक चिकित्सा पद्धति का आधार है।
(ख) उपनिषद: दार्शनिक चिंतन की पराकाष्ठा
उपनिषदों में “तत्वमसि” (तू ही वह है), “अहं ब्रह्मास्मि” (मैं ही ब्रह्म हूँ) जैसे महावाक्यों के माध्यम से आत्मा-परमात्मा की एकता सिद्ध की गई। ये विचार आज भी पश्चिमी दार्शनिकों को प्रभावित करते हैं।
(ग) गीता: जीवन का सार
श्रीमद्भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवन प्रबंधन शास्त्र है।
- कर्मयोग: निष्काम कर्म का सिद्धांत।
- ध्यानयोग: मन की एकाग्रता का विज्ञान।
- भक्तियोग: ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना।
2. विश्व को दिया गया सनातन धर्म का योगदान
(क) विज्ञान एवं गणित
- शून्य (०) की खोज: आर्यभट्ट और ब्रह्मगुप्त ने दशमलव प्रणाली दी।
- पाई (π) का मान: बौधायन ने सुलभ सूत्र में इसकी गणना की।
- सूर्य सिद्धांत: खगोल विज्ञान में पृथ्वी की गोलाकारता और ग्रहों की गति का विवरण।
(ख) योग एवं आयुर्वेद: विश्व को स्वास्थ्य का मंत्र
- योग (पतंजलि के योगसूत्र) आज UNESCO की विश्व धरोहर है।
- आयुर्वेद (चरक संहिता, सुश्रुत संहिता) ने प्राकृतिक चिकित्सा को जन्म दिया।
(ग) साहित्य एवं कला
- रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों ने नैतिक मूल्यों को स्थापित किया।
- नाट्यशास्त्र (भरतमुनि) ने विश्व को नाटक और कला का ज्ञान दिया।
3. सनातन धर्म: सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
- “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” (ऋग्वेद) – “सत्य एक है, विद्वान उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।”
- सनातन धर्म कभी “धर्मांतरण” या “जबरन प्रचार” में विश्वास नहीं रखता।
- बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म जैसी अनेक परंपराएँ इसी से प्रेरित हैं।
4. आधुनिक युग में सनातन धर्म की प्रासंगिकता
- योग और ध्यान: आज पश्चिमी देशों में तनावमुक्ति का मुख्य साधन।
- वसुधैव कुटुम्बकम: “सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है” का संदेश आज भी शांति का आधार है।
- पर्यावरण संरक्षण: पेड़ों (तुलसी, पीपल), नदियों (गंगा) और पशुओं (गाय) की पूजा प्रकृति संरक्षण का संदेश देती है।
निष्कर्ष: सनातन धर्म ही क्यों है जगतगुरु?
सनातन धर्म ने 5000+ वर्षों से अधिक समय तक मानवता का मार्गदर्शन किया है। यह न तो कट्टर है, न ही संकीर्ण। यह ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, अध्यात्म और मानवता का समन्वय है। इसीलिए, यह केवल भारत का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व का आध्यात्मिक गुरु है।
“सत्यमेव जयते” (मुंडक उपनिषद) – “सत्य की ही विजय होती है।”
“वसुधैव कुटुम्बकम” (महोपनिषद) – “सम्पूर्ण पृथ्वी ही मेरा परिवार है।”
🌍 सनातन धर्म का संदेश सार्वभौमिक है, शाश्वत है, और समस्त मानवजाति के कल्याण का मार्ग है। 🙏